संगम पर अब नहीं देखेगी नारद शिला

रुद्रप्रयाग। दैवी आपदा के चलते रुद्र नगरी की पहचान नारद शिला भी तबाह हो गई है। मंदाकिनी नदी में आई बाढ़ के कारण रुद्रप्रयाग संगम स्थित नारद शिला का नामोनिशान मिट गया है।
केदारनाथ यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु भगवान रुद्रनाथ के दर्शन के बाद संगम स्थित नारद शिला के दर्शन के लिए पहुंचते थे, लेकिन मंदाकिनी नदी में आई बाढ़ के कारण नारद शिला का अस्तित्व समाप्त हो गया है। माई सोमवार गिरि का कहना है कि मनुष्याें के धर्म विरोधी आचरण के कारण धार्मिक मठ-मंदिराें और शिलाआें का नाश हो रहा है। संगम का अर्थ पवित्रता से होता है, लेकिन वर्तमान में संगम अंतिम संस्कार का स्थान बना दिया गया है, जिससे इसकी पवित्रता समाप्त हो रही है। बताया जाता हैं कि भगवान शिव ने संगम पर ही महर्षि नारद को रुद्र रूप में दर्शन दिए थे। रौद्र रूप में दर्शन दिए थे। तभी इस स्थान का नाम रुद्रप्रयाग पड़ा। धार्मिक ग्रंथाें में वर्णित है कि रुद्रप्रयाग संगम स्थित नारद शिला में ही महर्षि नारद ने संगीत का ज्ञान प्राप्त करने के लिए भगवान शिव की तपस्या की थी। महर्षि की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने रुद्र रुप में दर्शन देकर संगीत का ज्ञान दिया था।

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